उच्चतम न्यायालय द्वारा शासन को एक आदेश देकर आमजन को ध्यान में रखते हुए एक अच्छी पहल की गई है। हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश शासन द्वारा भी एक आदेश जारी किया गया कि किसी भी कागजात में जातिगत आधार पर जाति नहीं लिखी जाएगी। न्यायालय और प्रदेश सरकार के इस आदेश के बाद लोगों ने इस आदेश की जमकर सहाना की है। हालांकि माना जा रहा है कि इस तरह का आदेश माननीय न्यायालय और शासन द्वारा दिया गया है। क्या जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन इस पर अमल करा पाएगी? क्योंकि इस तरह के आदेश पहले भी शासन द्वारा दिए गए थे और वाहनों या अन्य जगहों पर जाति आधारित स्लोगन को हटाने की आदेश की जारी किए गए थे। मगर कुछ ही समय में वह आदेश बस आदेश ही बनकर रह गए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि न्यायालय और प्रदेश सरकार द्वारा जिस तरह आदेश जारी किए गए इसे एक अच्छी पहल भी माना जा रहा है । हालांकि वाहनों से लेकर सरकारी कागजातों में जातियां लिखे जाने का प्रावधान चल रहा था । इससे जहां जातीय संघर्स से काफी नुकसान भी नजर आया तो वहीं इस तरह के मामलों को लेकर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार को आदेश जारी करते हुए स्पष्ट आदेश दिए। हालांकि प्रदेश सरकार ने भी बाकायदा इसका एक आदेश जारी कर एफआईआर में जाति नही लिखी जाएगी का आदेश पारित कर दिया। बल्कि नाम ही लिखा जाएगा। यह आदेश जारी किए। सूत्रों ने बताया कि वाहनों पर भी काफी तादाद में जाति और धार्मिक स्लोगन काफी लिखे देखे गए हैं । जिस पर पुलिस प्रशासन अमल करा पाएगी या नहीं यह देखने का विषय होगा। फिलहाल न्यायालय और प्रदेश सरकार द्वारा आदेश जारी कर एक अच्छी पहल की गई है, जो कि अक्सर मुकदमों की कॉपी में जाति लिखे होने से कहीं ना कहीं हीन भावना भी नजर आ रही थी, वहीं काफी वाहनों पर धार्मिक व जाति से कहीं ना कहीं लोगो जातिगत भेदभाव भी पैदा हो रहा था। जिसका संज्ञान लेते हुए माननीय न्यायालय द्वारा एक अच्छी पहल करते हुए एक अच्छा आदेश जारी किया। जिसकी लोग जमकर प्रशंसा भी करते हुए नजर आ रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस तरह के आदेश का पालन पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन करा पाएगी यह भविष्य की गर्द में छिपा है। फिलहाल सरकार द्वारा आनन फानन में आदेश जारी कर एक अच्छी पहल की गई है । जिसका लोग स्वागत की कर रहे हैं। सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देते हुए बताया कि वाहनों और कागजातों पर लिखी जातियां कहीं ना कहीं लोगों के मन को ठेस भी पहुंचनाने का कार्य कर रही थी। तो वही जातियां के आधार से लोगों की पहचान भी होती ही नजर आई है। इसी का संज्ञान लेते हुए माननीय न्यायालय द्वारा एक अच्छी पहल की गई और जिसका जमकर स्वागत भी किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार अब से पहले भी प्रदेश सरकार ने भी सीधा आदेश जारी करते हुए सभी विभागों को निर्देशित किया था। सूत्रों के अनुसार सवाल बड़ा है कि आखिर क्या सभी विभाग व पुलिस प्रशासन कागजात और वाहनों पर लिखे जातियों के भेदभाव को दूर कर पाएगी। वेसे यह बड़ा सवाल पैदा हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि पुलिस इस काम को पहले भी एक बार कर चुकी है । जब वाहनों पर धार्मिक और जाति के नाम और स्लोगन लिखे हुए काफी तादाद में पाए गए थे। जिन्हें हटाने का कार्य किया गया था। मगर बाद में फिर आदेश वापस हुए और लोगों ने उससे ज्यादा धार्मिक और जातियों के स्लोगन लिखवाने शुरू कर दिए। फिलहाल माननीय न्यायालय का यह आदेश कहीं ना कहीं जाति के भेदभाव को दूर करने का कार्य करेगा। सूत्रों ने बताया कि जातिगत आधार पर वाहनों पर लिखा स्लोगन भी कहीं ना कहीं जातीय संघर्ष को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे थे। बहरहाल इस तरह के आदेश के बाद कहीं ना कहीं जातीय संघर्ष को विराम मिलेगा और लोगों की पहचान भी दूर होगी, क्योंकि जातीय संघर्ष होने से कहीं ना कहीं प्रशासन को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
