इन तस्वीरों में योगी आदित्यनाथ सिर्फ एक मुख्यमंत्री नहीं दिखते, बल्कि सनातन परंपरा के उस तपस्वी स्वरूप में नज़र आते हैं, जहाँ सत्ता केवल लोककल्याण का माध्यम है और साधना ही जीवन का मूल उद्देश्य।
आरती की लौ में केवल दीपक की ज्योति नहीं जल रही , बल्कि हजारों सालों की आस्था, संस्कृति और परंपरा की निरंतरता दिखाई दे रही है। भगवा वस्त्र, गले की माला और हाथ में थाली ये संकेत हैं कि योगी का व्यक्तित्व सत्ता से कहीं ऊपर जाकर धर्म, आस्था और त्याग से जुड़ा हुआ है।
नेतृत्व तभी सार्थक होता है जब उसकी जड़ें अपनी संस्कृति और परंपरा में गहरी धंसी हों। यही सनातन की शक्ति है जहाँ धर्म और राजनीति अलग नहीं, बल्कि जनकल्याण और अध्यात्म का संगम बन जाते हैं।
यह तस्वीर एक स्मरण है कि जब तक दीपक की यह लौ जलती रहेगी, सनातन परंपरा जीवित और प्रखर बनी रहेगी ।

