उत्तर प्रदेश सरकार एक के बाद एक बड़ा कमाल का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में हो रहे कमाल के काम की कड़ी में शुक्रवार को एक और बड़ा कमाल हो गया है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में एक साथ 75 मेले शुरू हुए हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की देखरेख में प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ मेले शुरू किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में एक साथ शुरू हुए 75 मेले अपने आप में बहुत खास मेले हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में लगाए गए मेलों को ‘‘स्वदेशी मेला’’ नाम दिया गया है। उत्तर प्रदेश में शुरू हुए स्वदेशी मेलों का वर्चुअल उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।
आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करने में जुटी उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश में एक साथ शुरू किए गए 75 स्वदेशी मेले आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए शुरू किए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसपंर्क विभाग के निदेशक विशाल सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विजन है कि जब स्थानीय उत्पादों को सम्मान मिलेगा, तब आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। उनकी यही सोच अब प्रदेश के हर जिले में स्वदेशी मेलों के रूप में जमीन पर उतरती दिख रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से प्रदेश के सभी जनपदों में आयोजित किए जा रहे “स्वदेशी मेले” न केवल स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध करा रहे हैं, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को भी सशक्त बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वदेशी मिशन को आगे बढ़ाते हुए, यह पहल दीपावली के अवसर पर स्थानीय कारीगरों, हस्तशिल्पियों और उद्यमियों को आर्थिक मजबूती और सामाजिक सम्मान दोनों प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट संदेश है कि स्वदेशी सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की जीवनशक्ति है। उनकी नीति है कि उत्तर प्रदेश का हर नागरिक अपने आस–पास निर्मित उत्पादों को अपनाए और राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त, सांस्कृतिक रूप से गौरवान्वित बनाए। यह स्वदेशी मेले“स्वदेशी उत्पाद अपनाएं, उत्तर प्रदेश को सशक्त बनाएं“के नारे को ही जीवंत बना रहे हैं।
वैश्विक पहुंच तक मिल रहा विस्तार
विशाल सिंह ने बताया कि स्वदेशी मेले का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। इन मेलों में न केवल हस्तशिल्पियों और कारीगरों को बाजार मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी देशी उत्पादों की गुणवत्ता और विविधता का सीधा अनुभव होगा। इसके जरिए स्वदेशी उत्पादों का प्रचार–प्रसार होगा, जबकि हस्तशिल्पियों को स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध हो रहा है। यही नहीं, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से सीधे जुडऩे का भी अवसर प्राप्त हो रहा है। वहीं, पारंपरिक कला और शिल्प को जीवित रखने के मिशन को भी बल मिल रहा है।

