“ब्राह्मण सबका होता है, पर सबके टीवी लिए ब्राह्मण हो होना संभव नहीं। यह कोई उपाधि नहीं, बल्कि एक साधना है। ब्राह्मण अपनी वंशावली से नहीं, बल्कि अपने कर्म, तप और बुद्धि से प्रतिष्ठा अर्जित करता है। वह वंशानुगत होकर सर्वोच्च नहीं होता, बल्कि अपनी साधना से स्वयं को सर्वोच्च सिद्ध करता है और तभी उसे सच्चा सम्मान मिलता है “
आज जब कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर अस्वस्थ हुए तो प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी न केवल खुद मौके पर पहुँचे बल्कि व्हीलचेयर तक थामकर अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी निभाई।
ज़रा सोचिए कितने नेता हैं जो इस तरह अपने सहयोगी मंत्री के लिए भागदौड़ करते दिखते हैं ? ज़्यादातर तो केवल ट्वीट कर औपचारिकता निभा देते, लेकिन पाठक जी हमेशा मौके पर खड़े नज़र आते हैं। यही कारण है कि आज उनका नाम “काम करने वाले नेता” के रूप में लिया जाता है, न कि केवल बयान देने वाले नेता के रूप में।
जनता देख रही है जो नेता अस्पतालों की गलियारों से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक सक्रिय रहता है, वही संकट की घड़ी में भरोसे के काबिल होता है।
ब्रजेश पाठक जी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि “राजनीति दिखावे से नहीं, ज़मीनी जिम्मेदारी से चलती है “
